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रविवार, 16 फ़रवरी 2020

लिंग (Gender) [ पुल्लिंग व स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान के नियम ] 3 Comments Tags: लिंग (Gender) ‘लिंग’ का अर्थ होता है चिह्न | चिह्न से तात्पर्य है – स्त्री चिह्न या पुरुष चिह्न अर्थात जिस शब्द से पुरुष जाति का और स्त्री जाति का बोध हो ,उसे लिंग कहते हैं | लिंग के भेद – 1. पुल्लिंग 2. स्त्रीलिंग 1. पुल्लिंग - जिस शब्द से पुरुष जाति का बोध होता है , उसे पुल्लिंग कहते हैं | जैसे – सजीव – मोहन, लड़का , हाथी , सर्प इत्यादि निर्जीव – मकान , पत्र , नेत्र ,पत्ता इत्यादि भाव – प्रेम , बुढ़ापा , सुख , दुःख आदि 2. स्त्रीलिंग - जिस शब्द से स्त्री जाति का बोध होता है , उसे स्त्रीलिंग कहते हैं | जैसे – सजीव – लता , लड़की , घोड़ी , गाय इत्यादि निर्जीव – इमारत , चिट्ठी , आँख , हवा इत्यादि भाव – सच्चाई , ईमानदारी , सजावट इत्यादि पुल्लिंग व स्त्रीलिंग शब्दों की पहचान के नियम 1. मनुष्य और बड़े जीवों में लिंग की पहचान आसान है | जैसे – पुल्लिंग - पिता ,पुत्र , सुनार , लोहार , ऊँट , हंस आदि |स्त्रीलिंग- माता , पुत्री , सुनारिन, ऊंटनी , हंसी आदि | 2. संस्कृत के पुल्लिंग तथा नपुंसकलिंग शब्द जो हिंदी में प्रयुक्त होते हैं वे प्राय: पुल्लिंग तथा संस्कृत के स्त्रीलिंग शब्द जो हिंदी में प्रचलित है प्राय: स्त्रीलिंग ही रहते हैं | जैसे – तन , मन , धन , देश , जगत् आदि शब्द पुल्लिंग और सुन्दरता , आशा , लता , दिशा आदि शब्द स्त्रीलिंग हैं | 3. जिन शब्दों के अंत में आ , पा , आवा , आव , र्य , त्र , पन , त्व , र , ना आदि प्रत्यय लगे हों तो वे शब्द प्राय: पुल्लिंग होते हैं | जैसे – आ – घेरा ,फेरा , जोड़ा , झगड़ा आदि | पा – बुढ़ापा , मोटापा आदि | आवा – पछतावा , पहनावा , बुलावा , चढ़ावा आदि | आव – बहाव , टकराव , बचाव , बदलाव आदि | र्य – आर्य , अनार्य , धर्य , शौर्य आदि | त्र – पत्र , चित्र , मित्र , मंत्र , तंत्र आदि | पन – बचपन , बडप्पन , लड़कपन , अपनापन आदि | त्व – महत्त्व , सतीत्व , नारीत्व , अपनत्व आदि | र – प्रचार , नगर , सागर ,प्रचार आदि | ना – लिखना , पढ़ना , रोना , दिखाना आदि | 4. जिन शब्दों के अंत में नी, री, ति, त, ली, आहट, आवट, इया, ई, आस, आई आदि प्रत्यय लगे हों तो वे प्राय: स्त्रीलिंग होते हैं | जैसे – नी – शैतानी , हैरानी , मनमानी , चटनी आदि | री – छतरी , कटोरी , पटरी , कोठरी आदि | ति – जाति , क्षति , शक्ति , रीति आदि | त – रंगत , राहत , बगावत , अदालत आदि | ली – ओखली , तितली , डफली , मूँगफली आदि | आहट – चिल्लाहट , चिकनाहट , घबराहट आदि | आवट – लिखावट , मिलावट , थकावट, सजावट आदि | इया – खटिया , डलिया , डिबिया , टिकिया आदि | ई – गगरी , गठरी , प्याली , गरीबी ,अमीरी आदि | आस – साँस , मिठास , खटास , प्यास आदि | आई – मलाई , बुराई , महँगाई , रुलाई आदि | 5. महीनों, दिनों, ग्रहों और पर्वतों के नाम पुल्लिंग होते हैं ; जैसे – महीनों – चैत्र, बैसाख, ज्येष्ठ, आषाढ़ आदि | दिन – सोमवार, मंगलवार, बुधवार आदि | ग्रह और पर्वत – राहू, केतु , हिमालय, विन्ध्याचल आदि | 6. नदियों ( गंगा , यमुना , कावेरी ) , तिथियों (तृतीया , चतुर्थी ) तथा नक्षत्रों (अश्विनी ,रोहिणी )के नाम स्त्रीलिंग होते हैं | 7. संस्कृत के ऊकारांत और उकारांत शब्द पुल्लिंग होते हैं | जैसे – डाकू , जनेऊ , प्रभू , अश्रु , जंतु , राहु आदि | 8. संस्कृत के कुछ पुल्लिंग शब्द और नपुंसकलिंग शब्द हिंदी में स्त्रीलिंग के रूप में प्रयुक्त होते हैं | जैसे – अग्नि ,आत्मा , ऋतु, वायु , संतान , राशि आदि | 9. द्रव्यवाचक शब्द प्राय: पुल्लिंग रूप में प्रयुक्त होते हैं ; जैसे – घी , तेल , दूध , पानी , मोती , पन्ना , लोहा , ताँबा आदि | 10. भाषा , बोली और लिपि का नाम स्त्रीलिंग में होता है ; जैसे – हिंदी, अंग्रेजी, रूसी, चीनी, अरबी, फारसी, अवधी, बघेली, भोजपुरी, गढ़वाली, ब्राह्मी, खरोष्ट्री आदि | 11. कुछ ऐसे जीव जिनमें पुल्लिंग व स्त्रीलिंग की पहचान कठिन होती है , उन्हें या तो पुल्लिंग मान लिया गया है या स्त्रीलिंग | जैसे – चीता , भालू , गीदड़ आदि | यदि इन शब्दों के साथ मादा शब्द जोड़ दिया जाए तो ये स्त्रीलिंग हो जाती हैं ; जैसे – मादा चीता , मादा भालू आदि | कुछ जीव नर हों या मादा उन्हें स्त्रीलिंग मान लिया गया है | जैसे – कोयल , मैना , मक्खी ,लोमड़ी आदि | शब्दों को पुल्लिंग से स्त्रीलिंग बनाने के आवश्यक नियम - 1. अकारांत तथा आकारान्त पुल्लिंग शब्दों को ईकारांत कर देने से स्त्रीलिंग हो जाते हैं ; जैसे – 1. लड़का – लड़की 2. गोप – गोपी 3. नाना – नानी 4. हिरन – हिरनी आदि 2. ‘आ’ प्रत्ययांत पुल्लिंग शब्दों में ‘आ’ के स्थान पर ‘इया’ लगाने से स्त्रीलिंग बन जाते हैं ; जैसे – 1. बूढ़ा – बुढ़िया 2. बछड़ा – बछिया 3. व्यवसायबोधक, जातिबोधक तथा उपनामवाचक शब्दों के अंतिम स्वर का लोप करके उनमें ‘इन’ व ‘आइन’ प्रत्यय लगाने से स्त्रीलिंग बन जाता है | जैसे – 1.धोबी – धोबिन 2. बाघ – बाघिन 3. कहार- कहारिन 4. पंडित – पंडिताइन 4. संस्कृत के ‘वान’ और ‘मान’ प्रत्ययान्त विशेषण शब्दों में ‘वान’ तथा ‘मान’ को क्रमश: ‘वती’ और ‘मती’ कर देने से स्त्रीलिंग बन जाते हैं | जैसे – 1. पुत्रवान – पुत्रवती 2. बुद्धिमान – बुद्धिमती 3. बलवान – बलवती 3. श्रीमान – श्रीमती 5. ‘अकारांत विशेषण शब्दों के अंत में ‘आ’ लगा देने से स्त्रीलिंग बन जाते हैं ; जैसे – 1. प्रियतम – प्रियतमा 2. श्याम – श्यामा 3. चंचल – चंचला 4. आत्मज – आत्मजा 6. जिन पुल्लिंग शब्दों के अंत में ‘अक’ होता है उनमें ‘अक’ के स्थान पर ‘इका’ लगा देने से स्त्रीलिंग बन जाते हैं | जैसे – 1. बालक – बालिका 2. सेवक – सेविका 3. पालक – पालिका 4. नायक

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