संस्कृति के चार अध्याय-(रामधारी सिंह 'दिनकर)' से
कुछ महत्वपूर्ण वाक्य-
1-सच तो यह है कि रक्त,भाषा और संस्कृति सभी दृष्टियों से भारत की जनता अनेक मिश्रणों से युक्त हैं ।पृष्ठ-32
2-हिन्दू संस्कृति का अविर्भाव आर्य और आर्येतर संस्कृतियों के मिश्रण से हुआ तथा जिसे हम वैदिक संस्कृति कहते हैं,वह वैदिक और प्राग्वैदिक संस्कृतियों के मिलन से उत्पन्न हुई थी।-पृष्ठ-58
3-संस्कृत-साहित्य पर जितना ऋण उत्तर वालों का है,उतना ही ऋण दक्षिणत्यों का भी।-पृष्ठ-69
4-भारत की सभी भाषाएँ संस्कृत के घाट पर पानी पीकर जीती आयी हैं और आज भी उनका उपजीव्य यही भाषा है।-पृष्ठ-69
5-भारत की अन्य जातियों ने आर्यों के द्वारा चलायी गयी जाति-प्रथा को स्वीकार कर लिया,यह हमारे देश में संस्कृति-समन्वय की ओर पहला कदम था।इससे इतना हुआ कि आर्य,द्रविड़,औष्ट्रिक और नीग्रों तथा सभी मंगोल खानदानों के लोग एक समाज के सदस्य हो गए,जिसका नाम आगे चलकर हिन्दू-समाज पड़ा।-पृष्ठ-86
6-जिस प्रकार भारतीय जनता की रचना उन अनेक जातियों को लेकर हुई जो समय-समय पर इस देश में आती रही,उसी प्रकार हिन्दुत्व भी इस विभिन्न जातियों के धार्मिक विश्वासों के योग से बना है।
कुछ महत्वपूर्ण वाक्य-
1-सच तो यह है कि रक्त,भाषा और संस्कृति सभी दृष्टियों से भारत की जनता अनेक मिश्रणों से युक्त हैं ।पृष्ठ-32
2-हिन्दू संस्कृति का अविर्भाव आर्य और आर्येतर संस्कृतियों के मिश्रण से हुआ तथा जिसे हम वैदिक संस्कृति कहते हैं,वह वैदिक और प्राग्वैदिक संस्कृतियों के मिलन से उत्पन्न हुई थी।-पृष्ठ-58
3-संस्कृत-साहित्य पर जितना ऋण उत्तर वालों का है,उतना ही ऋण दक्षिणत्यों का भी।-पृष्ठ-69
4-भारत की सभी भाषाएँ संस्कृत के घाट पर पानी पीकर जीती आयी हैं और आज भी उनका उपजीव्य यही भाषा है।-पृष्ठ-69
5-भारत की अन्य जातियों ने आर्यों के द्वारा चलायी गयी जाति-प्रथा को स्वीकार कर लिया,यह हमारे देश में संस्कृति-समन्वय की ओर पहला कदम था।इससे इतना हुआ कि आर्य,द्रविड़,औष्ट्रिक और नीग्रों तथा सभी मंगोल खानदानों के लोग एक समाज के सदस्य हो गए,जिसका नाम आगे चलकर हिन्दू-समाज पड़ा।-पृष्ठ-86
6-जिस प्रकार भारतीय जनता की रचना उन अनेक जातियों को लेकर हुई जो समय-समय पर इस देश में आती रही,उसी प्रकार हिन्दुत्व भी इस विभिन्न जातियों के धार्मिक विश्वासों के योग से बना है।
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