" बाणभट्ट की आत्मकथा "के महत्वपूर्ण कथन👇
* तर्क से विद्वेष बढ़ता है ,विद्वेष से हिंसा पनपती है और हिंसा से मनुष्य का विध्वंस होता है।
* जिस पर विश्वास करना है चाहिए ,उस पर पूरा विश्वास करना चाहिए परिणाम जो भी हो।
* राजनीति भुजंग से भी अधिक कुटिल है,अधिसार से भी अधिक दुर्गम ,विधुत शिखर से भी चंचल।
*नारी की सफलता पुरुष को बाँधने में है और सार्थकता उसको मुक्त करने में।
*नारी देह वह स्पर्श मणि है जो प्रत्येक ईंट पत्थर को सोना बना देती है।
*चरित्र हीनों के बीच वास करने से सरस्वती कलंकित नहो होती।
* मानव देह केवल दण्ड भोगने के लिए नही बनी ,यह विधाता की सर्वोत्तम सृष्टि है।
* वैराग्य क्या इतनी बड़ी चीज है कि प्रेम के देवता को उसकी नयनागिन में भस्म कराके कवि गौरव अनुभव करे?।
*प्रेम एक और अविभाज्य है,उसे केवल ईर्ष्या और असूया ही विभाजित करके छोटा कर देते हैं।
* तर्क से विद्वेष बढ़ता है ,विद्वेष से हिंसा पनपती है और हिंसा से मनुष्य का विध्वंस होता है।
* जिस पर विश्वास करना है चाहिए ,उस पर पूरा विश्वास करना चाहिए परिणाम जो भी हो।
* राजनीति भुजंग से भी अधिक कुटिल है,अधिसार से भी अधिक दुर्गम ,विधुत शिखर से भी चंचल।
*नारी की सफलता पुरुष को बाँधने में है और सार्थकता उसको मुक्त करने में।
*नारी देह वह स्पर्श मणि है जो प्रत्येक ईंट पत्थर को सोना बना देती है।
*चरित्र हीनों के बीच वास करने से सरस्वती कलंकित नहो होती।
* मानव देह केवल दण्ड भोगने के लिए नही बनी ,यह विधाता की सर्वोत्तम सृष्टि है।
* वैराग्य क्या इतनी बड़ी चीज है कि प्रेम के देवता को उसकी नयनागिन में भस्म कराके कवि गौरव अनुभव करे?।
*प्रेम एक और अविभाज्य है,उसे केवल ईर्ष्या और असूया ही विभाजित करके छोटा कर देते हैं।
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