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शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

📚हिन्दी साहित्य काल 📚 🎤 हिन्दी साहित्य लेखन की परम्परा:- 📚 मध्यकाल में रचित वार्ता साहित्य - (1) 84 वैष्णव की वार्ता (गोकुल नाथ) (2) दो सौ बावन वैष्णव की वार्ता (गोकुल नाथ) भक्तमाल - नाभादास - हिन्दी साहित्य के इतिहास लेखन का वास्तविक सूत्रपात 19वीं शताब्दी से माना जाता है। 📲(1) गार्सा द तासी:- - ग्रन्थ - इस्तवार द ला लितरेत्यूर एदूस्तानी - इस ग्रंथ का प्रकाशन दो भागों में हुआ 1. 1839 इ. 2. 1847 ई. - इसे हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास ग्रंथ माना जाता है। भाषा - फ्रेंच 📲(2) शिवसिंह सेंगर:- - रचना - शिवसिंह सरोज (000 कवियों का परिचय) (1883 में लिखा) 📲(3) सर जार्ज गिर्यसन:- - रचना - द माॅडर्न वनैक्यूलर लिटरेचर आॅफ हिन्दुस्तान (1888) - इसका प्रकाशन एशियाटिक सोसाइटी आॅफ बगांल की पत्रिका के विशेषांक के रूप में हुआ। - किशोरी लाल गुप्त ने इसे सही अर्थों में हिन्दी साहित्य का प्रथम इतिहास माना है। - इस ग्रथ मे पहली बार रचनाकारो को कालक्रम से वर्गीकृत किया गया। - इन्होंने केवल हिन्दी के कवियों को अपने कालक्रम में स्थान दिया। - हिन्दी साहित्य के इतिहास को ग्रियसन ने अपने ग्रंथ में भक्तिकाल को प्रथमबार स्वर्णयुग काल की संज्ञा दी। 📲(4) मिश्र बंधु:- - मिश्र बंधु विनोद (पुस्तक) - इस ग्रथ की रचना 4 भागो मे हुई प्रथम 3 भाग - 1913 इ. में प्रकाशित हुये तथा चौथा भाग - 1934 ईस्वी मे प्रकाशित हुआ। - इन्होंने पहली बार काल विभाजन का समुचित प्रयास किया। 📲(5) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल:- (100 कवियों का परिचय) - ‘‘हिन्दी साहित्य का इतिहास’’ नामक ग्रंथ 1929 ई. मे हिन्दी शब्द सागर की भूमिका के रूप में लिखा। - इन्होने युगीन परिस्थितियो के सदंर्भ मे साहित्यिक प्रवृतियों के विकास की बात कही। 📲(6) डाॅ. रामकुमार वर्मा:- - ‘‘हिन्दी साहित्य का आलोचनात्मक इतिहास (1938) - इनका प्रमुख आधार आचार्य शुक्ल का इतिहास रहा - इन्होंने भक्तिकाल तक ही विवेचन किया - इन्होंने स्वयभूं को हिन्दी साहित्य का प्रथम कवि माना 📲(7) आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी:- (1) हिन्दी साहित्य की भूमिका (194र्0 इ. ) (2) हिन्दी साहित्य उद्भव व विकास (195र्3 इ. ) (3) हिन्दी साहित्य का आदिकाल (195र्2 इ. ) 📲(8) डाॅ. गणपति चन्द्रगुप्त:- - हिन्दी साहित्य का वैज्ञानिक इतिहास - (1965) काल विभाजन गार्सा द तासी एवं शिवसिंह सेंगर ने काल विभाजन का कोई प्रयास नहीं किया। ग्रियर्सन ने अपनी पुस्तक ‘‘द माॅर्डन वर्नेक्यूलर लिटरेचर आॅफ हिन्दुस्तान’’ में रचनाकारों का काल क्रमानुसार वर्गीकरण करते हुए 11 काल खण्डों में विभाजित किया प्रथम काल - चारण काल (700-140र्0 इ. ) मिश्र बंधु (1) आरम्भिक काल - 700-1400 ई. (2) माध्यमिक काल - 1445-1680 वि.स. (3) अलंकृत काल - 1680-1889 वि.स. (4) परिवर्तन काल - 1890-1925 वि.स. (6) वर्तमान - 1926 से वर्तमान तक 📚 काल खण्डों के विभाजन में नामकरण एक जैसी पद्धति पर नही - हिन्दी साहित्य के इतिहास का प्रारम्भ 700 वि.स. से मानकर अपभ्रंष साहित्य को स्थान दिया। 📲(1) आचार्य रामचन्द्र शुक्ल - (1) वीरगाथा काल - संवत् 1050-1375 वि.स. (2) भक्तिकाल/पूर्व मध्यकाल - 1375-1700 वि.स. (3) रीतिकाल/उतरमध्यकाल - 1700-1900 वि.स. (4) आधुनिक काल/गद्यकाल - 1900-1984 वि.स. - शुक्ल जी ने प्रधान प्रवृति एंव प्रसिद्ध ग्रन्थों की प्रसिद्धी को आधार मानकर काल विभाजन किया। - इन्होंने हिन्दी साहित्य का इतिहास ‘‘विक्षेपवादी’’ प्रवृति पर लिखा - इनके काल विभाजन में सर्वाधिक विवाद वीरगाथा काल पर हुआ 📲(2) डाॅ. रामकुमार वर्मा - (1) संधिकाल - 750 वि.-1000 वि. (2) चारणकाल - 1000 वि.-1375 वि. (3) भक्तिकाल - 1375 वि.-1700 वि. (4) रीतिकाल - 1700 वि.-1900 वि. (5) आधुनिक काल - 1900 वि.-वर्तमान

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विलोम शब्द

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