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शुक्रवार, 11 अक्टूबर 2019

-----------------------छायावाद------------------------ हिंदी साहित्य के इतिहास में 1918 से 1936 के काल को 'छायावाद' के नाम से जाना जाता है| * आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने छायावाद का #जनक मुकुटधर पाण्डेय को माना है | * छायावाद शब्द का पहली बार प्रयोग 'मुकुटधर पांडे' ने किया था | छायावाद की परिभाषाएँ :-- प्रसाद की वेदना, रामकुमार की छाया । नगेन्द्र के स्थूल को, शुक्ल ने रहस्य बताया।। मुकुटधर पांडे ने छायावाद की पांच विशेषताएं बताई व्यक्तित्व स्वातंत्र्य चेतना रहस्यवादिता शैलीगत वैशिष्टय स्पष्टता * डॉ नगेंद्र के अनुसार "छायावाद स्थूल के प्रति सूक्ष्म का विद्रोह है " * डॉक्टर नामवर सिंह के अनुसार "छायावाद उस राष्ट्रीय जागरण की काव्यात्मक अभिव्यक्ति है जो एक और पुरानी रूढ़ियों से मुक्ति चाहता है और दूसरी और विदेशी पराधीनता से" छायावाद के चार स्तंभ प्रसाद पंत — पंत की प्रथम कविता — 'गिरजे का घण्टा' 1916 है | निराला वर्मा "अरुण यह मधुमय देश हमारा, जहां पहुंच अनजान क्षितिज को मिलता एक सहारा| — जयशंकर प्रसाद वियोगी होगा पहला कवि आह से उपजा होगा ज्ञान, निकलकर आंखों से चुपचाप बहीह होगी कविता अनजान"| — सुमित्रानंदन पंत "दुख ही जीवन की कथा रही क्या कहूं आज जो नहीं कही" — सूर्यकांत त्रिपाठी निराला "मिलन का मत नाम लो मैं विरह में चिर हूं" — महादेवी वर्मा * जयशंकर प्रसाद की प्रमुख छायावादी रचनाएँ झरना आंसू —मुक्तक शैली का विरह काव्य है | लहर कामायनी — 15 सर्ग प्रतीक [ मनु — मन का,] [श्रध्दा — हृदय का] [ इड़ा — बुध्दि का ] — कामायनी मे शैवदर्शन की अभिव्यक्ति हुई है | — कामायनी जयशंकर प्रसाद की अन्तिम कृति है | * पंत की छायावादी रचनाएँ — अच्छवास — ग्रन्थि — वीणा — 'पल्लव' को छायावाद का 'मेनिफेस्टो' कहा जाता है | — गुंजन * निराला की छायावादी रचनाएँ अनामिका परिमल गीतिका तुलसीदास — अनामिका कृति को 'छायावादी कविता का घोषणा - पत्र' कहा जाता है | * महादेवी वर्मा की छायावादी रचना नीहार रश्मि नीरजा सांध्या गीत यामा — महादेवी वर्मा की सम्पर्ण कविताएँ "यामा" कृति मे संकलित है | विशेष :- उर्वशी गीतिनाट्य काव्य है | 1. हिन्दी की प्रथम भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त कृति पंत द्वारा रचित 'चिदम्बरा' [1968] 2. हिंदी की दूसरी भारतीय ज्ञानपीठ पुरस्कार प्राप्त कृति रामधारी सिंह दिनकर रचित 'उर्वशी' (1972)

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विलोम शब्द

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