"असाध्य वीणा पर आधारित महत्वपूर्ण प्रश्नोतर"
1. ’असाध्य वीणा’ किस देश की लोक कथा पर आधारित है –
⇒ चीनी
2. ’असाध्य वीणा’ नामक कविता में बौद्ध धर्म के किस सिद्धान्त की भावपूर्ण अनुभूति है –
⇒ तथता सिद्धान्त
3. ‘असाध्य वीणा’ कविता ली गई है –
⇒ ‘आँगन के पार द्वार’ से
4. ’असाध्य वीणा’ का निर्माण किस दिव्य व महान जीवनदायक वृक्ष से हुआ था –
⇒ किरीट तरू
5. ’असाध्य वीणा’ का निर्माण किस संगीतकार के जीवनभर की साधना थी –
⇒ वज्रकीर्ति
6. ‘आँगन के पार द्वार’ कृति हेतु अज्ञेय को पुरस्कार मिला-
⇒ साहित्य अकादमी
7. अज्ञेय को सन् 1978 में किस रचना पर भारतीय ज्ञान पीठ पुरस्कार मिला –
⇒ कितनी नावों में कितनी बार
8. केशकंबली प्रियवंद कहाँ रहता था –
⇒ गुफा में
9. अज्ञेय को ‘आँगन के पार द्वार’ कृति पर कब साहित्य पुरस्कार मिला ?
⇒ 1964 ई. में
10. किरीट तरू से कौन अपना शरीर खुजलाते थे –
⇒ शेर
11. ’असाध्य वीणा’ से अवतरित संगीत की अभिव्यक्ति थी-
⇒ सब के लिए अलग-अलग
12. ‘वीणा’ का निर्माण किया था-
⇒ वज्रकीर्ति ने
13. जब वीणा मौन हो गई तो प्रियवंद ने उसे गोदी से उठाकर धीरे से नीचे रखा तो कवि ने उस समय वीणा की तुलना किससे की है –
⇒ सोये हुए शिशु से
14. वीणा से संगीत के अवतरित होने की खुशी में रानी ने खुश होकर प्रियवंद को क्या दिया –
⇒ सतलङा हार
15. ‘कोई ज्ञानी गुणी आज तक इसे न साध सका’ यह कथन है-
⇒ राजा का प्रियवंद के प्रति
16. किरीट तरू की कोटर में कवि के अनुसार कौन सोता है –
⇒ भालू
17. वीणा का जो संगीत अवतरित हुआ उसमें रानी ने क्या सुना –
⇒ अनन्य प्रेम सर्वोपरि है।
18. ‘असाध्या वीणा’ नाम प्रसिद्ध हुआ, क्यों ?
⇒ वीणा को कोई बजा नहीं सका
19. किरीट वृक्ष को किसका अग्रज बताया है –
⇒ झारखंड
20. वज्रकीर्ति ने वीणा को किरीट तरू से अभिमंत्रित करके बनाया था लेकिन उसकी हठ साधना क्या थी –
⇒ वीणा को हर कोई साध नहीं सके।
21. ‘राजन ! पर मैं तो कलावन्त हूँ नहीं’ कथन है-
⇒ प्रियवंद (केशकम्बली का)
22. भरोसा है अब मुझको साध आज मेरे जीवन की पूरी होगी! यह कथन किसका है –
⇒ राजा
23. ओ दीर्घकाय ओ पूरे झारखंड के अग्रज, तात, सखा, गुरु, आश्रय त्राता महच्छाय। यह किसे कहा गया है –
⇒ किरीट वृक्ष
24. ‘असाध्य वीणा’ कविता में व्यक्त हुआ है-
⇒ प्रकृति का ध्वन्यात्मक व आलम्बन रूप
25. ’’तू गा मेेरे, अँधियारे अन्तस् में आलोक जगा स्मृति का श्रुति का।’’ किसे गानेे के लिए कहा गया है –
⇒ किरीट वृक्ष
26. ‘हठ साधना यही थी उस साधक की’ पंक्ति किस के लिए कही गई है ?
⇒ वज्रकीर्ति के लिए
27. ‘राजा जागे……..समाधिस्थ संगीतकार का हाथ उठा…….’ पंक्तियों में रेखांकित पद प्रयुक्त हुए हैं –
⇒ प्रियवंद के लिए
28. ’अज्ञेय’ की कविताओं की विशेषता है –
⇒ भाषा-शिल्प व उपनामों की नवीनता
29. कवि अज्ञेय द्वारा रचित ’असाध्य वीणा’ किस काव्य संग्रह में संकलित है –
⇒ आँगन के पार द्वार
30. ‘प्रिय पाठक ! यों मेरी वाणी भी मौन हुई’’ किसकी वाणी मौन हुई ?
⇒ अज्ञेय की
31. अज्ञेय जी द्वारा सम्पादित तार सप्तक का प्रकाशन कब हुुआ –
⇒ 1943
32. अज्ञेय का जन्म कब हुआ था –
⇒ 1911
33. ‘असाध्य वीणा’ का निर्माण किस वृक्ष की लकड़ी से हुआ था ?
⇒ किरीटी तरु की
34. किरीट वृक्ष की जङे पाताल लोक तक पहुँच गई थी, वहाँ कौन उसकी सुगन्धी के आकर्षण में सोता था-
⇒ वासुकि नाग
35. वीणा का नाम असाध्य वीणा क्यों पङा –
⇒ वीणा को कोई बजा नहीं सका था।
37.प्रियवंद के अनुसार वीणा साधना संभव कैसे हुआ –
⇒ शून्य और मौन से
38. वीणा का स्वर संगीत राजा ने किस रूप में सुना –
⇒ वरमाल लिए विजयश्री के रूप में
39. ‘कौन प्रियवंद है कि दम्भ कर
इस अभिमन्त्रित कारूवाद्य के सम्मुख आवे ?’’ कथन है-
⇒ प्रियवंद का
40. प्रियवंद ने वीणा की साधना कैसे की –
⇒ अपने आप को किरीट तरू में समर्पित कर
41. वीणा का स्वर सुनकर राजा का राजमुकट हल्का हो गया राजमुकट की तुलना उस समय किससे की गई थी –
⇒ शिरीष के फूल
42. किरीट वृक्ष के कानों में कौन रहस्य कहा करते थे-
⇒ हिमशिखर
43. आ गए प्रियवंद! केश कम्बली! गुफा-गेह! राजा ने आसन दिया। राजा के मन में कौनसा भाव था –
⇒ कृतज्ञता
44. उसके कानों में हिमशिखर रहस्य कहा करते थे। अपने कन्धों पर बादल सोते थे। उसकी करि-शुण्डों-सी डालें हिम-वर्षा से पूरे। यहाँ किसका वर्णन है –
⇒ किरीट वृक्ष
45. एक चोट वह संचित संगीत जिसे रचने में स्वयं ना जाने कितनो के स्पंदित प्राण रच गये। असाध्य वीणा के बारे में यह किसने सोचा –
⇒ प्रियवंद
46. धीरे बोलाः राजन! पर मैं तो कलांवत हूँ नहीं, शिष्य साधक हूँ। यह किसने कहा –
⇒ प्रियवंद
47. ’अज्ञेय’ का प्रसिद्ध कहानी संग्रह है –
⇒ विपथगा
48. ‘अनकथ मंगलगान सुनायें’’ किसने ?
⇒ झिल्ली ने
49. रस-विद तू गाः
किसके लिए कहा गया है ?
⇒ किरीट वृक्ष के लिए
50. ‘‘कमल-कुमुद पत्रों पर चोर-पैर द्रुत धावित’’ यह पंक्ति किसकी ओर संकेत करती हैं ?
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