✍ज्ञानपीठ, साहित्य अकादमी एवं व्यास सम्मान से नवाजे गए हिंदी के कुछ साहित्यकार - अमरकांत, श्रीलाल शुक्ल, कुंवर नारायण
✍"पंडित और मसालची दोनों सूझे नाहि/औरन को करै चांदना आप अँधेरे मांहि।" पँक्ति भक्तिकाल के किस कवि की है - कबीर
✍राम की शक्तिपूजा पर टीका "छंद छंद पर कुंकुम" किसकी रचना है - वागीश शुक्ल
✍निबन्ध "मुझको शर्म क्यों नहीं आती" किसकी पुस्तक है - प्रेम
जनमेजय
✍जोखिम किसका आत्मकथात्मक उपन्यास है - हृदयेश
✍सीवान की कविता सम्पादित कृति किसकी है - मैनेजर पांडे
✍हिंदी के आरंभिक ग़ज़लकार - निराला, त्रिलोचन, शमशेर बहादुर सिंह, दुष्यंत कुमार, जानकी वल्लभ शास्त्र
✍"मैं और मेरे समकालीन कवि, कविता नहीं लिखते कविता का धोखा खड़ा करते हैं" - श्री राम शुक्ल
✍"नागार्जुन जैसा प्रयोगधर्मा कवि कम ही देखने को मिलता है, चाहे वे प्रयोग लय के हों, छंद के हों, विषयवस्तु के हों" कथन किसका है - नामवर सिंह
✍"नैननि में जो सदा रहते तिनकी अब कान कहानी सुन्यो करै" - आलम की पंक्ति है।
✍रहस्यवाद की तुलना नन्ददुलारे वाजपेयी ने 'कन-कौवा' से की है ।
✍रायदेवि प्रसाद पूर्ण ने द्विवेदी युग में रीतिकालीन कवि सेनापति के टक्कर का प्रकृति चित्रण किया है।
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